South Korean President Impeached: दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक योल के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पारित होने के बाद सभी की निगाहें संवैधानिक कोर्ट पर टिकी हैं, जो राष्ट्रपति यून सूक योल के महाभियोग पर अंतिम फैसला लेगा। यून को निलंबित कर दिया गया है जबकि प्रधानमंत्री कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य कर रहे हैं। नेशनल असेंबली ने शनिवार को राष्ट्रपति यून सुक-योल के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पारित कर दिया। यह प्रस्ताव पिछले हफ्ते मार्शल लॉ लागू करने के लिए उनके खिलाफ लाया गया था।
दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक योल की मुश्किलें बढ़ गई हैं। दक्षिण कोरिया की संसद ने उनके खिलाफ महाभियोग लाने के लिए मतदान किया है। यह प्रस्ताव नेशनल असेंबली में 204-85 वोट से पारित हो गया है। राष्ट्रपति यून सुक योल मार्शल मार्शल लॉ लाने के बाद घिर गए थे। अब कोर्ट के पास यह फैसला लेने के लिए 180 दिन का समय है कि संसद के उस फैसले को मंजूरी दी जाए या नहीं। जिसके तहत या तो यून को राष्ट्रपति पद से हटाया जाएगा या उन्हें पद पर बहाल किया जाएगा। राष्ट्रपति के खिलाफ आखिरी महाभियोग 2016 में हुआ था, जब तत्कालीन राष्ट्रपति पार्क ग्यून-हे को उनकी सीट से हटा दिया गया था।
अगर यून सुक योल (Yoon Suk Yeol) को राष्ट्रपति पद से हटा दिया जाता है, तो उनका उत्तराधिकारी चुनने के लिए दक्षिण कोरिया को उनके पद से हटने के 60 दिन के भीतर राष्ट्रपति चुनाव कराना होगा। तब तक, प्रधानमंत्री हान डक-सू कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में काम करते रहेंगे। बता दें कि, राष्ट्रपति यून ने मंगलवार, 3 दिसंबर की रात्रि को आपातकालीन मार्शल लॉ की घोषणा की, लेकिन बुधवार को संसद द्वारा इसके खिलाफ मतदान किए जाने के बाद इसे निरस्त कर दिया गया। मार्शल लॉ कुछ घंटों के लिए ही लागू रहा। हालांकि चंद घटों के लिए लागू हुए मार्शल लॉ ने साउथ कोरिया की राजनीति में भूचाल ला दिया।
समाचार एजेंसी के अनुसार, यून के देश छोड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, क्योंकि कानून प्रवर्तन अधिकारी यह जांच कर रहे हैं कि क्या उन्होंने और मार्शल लॉ की घोषणा में शामिल अन्य लोगों ने अन्य अपराधों के अलावा विद्रोह और सत्ता का दुरुपयोग किया है। राष्ट्रपति के रक्षा मंत्री, पुलिस प्रमुख और सियोल की मेट्रोपॉलिटन पुलिस एजेंसी के प्रमुख को इस मामले में उनकी भूमिका के लिए पहले ही गिरफ़्तार किया जा चुका है। एजेंसी के अनुसार, अन्य वरिष्ठ सैन्य और सरकारी अधिकारियों की भी जांच जारी है।