Manipur Violence: हिंसा रोकने में असफल BJP सरकार से NPP ने समर्थन वापस लिया, AFSPA हटाने की मांग, कर्फ्यू जारी, इंटरनेट बंद, अमित शाह चुनावी रैली रद्द कर लौटे दिल्ली। मणिपुर में एक बार फिर हिंसा का दौर जारी है। इसके कारण राज्य में अशांति फैली हुई है। मई 2023 में शुरू हुई हिंसक घटनाओं में अब तक 220 से ज़्यादा लोगों की जान जा चुकी है। हाल ही में जिरीबाम जिले में 6 शव मिलने के बाद फिर से हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। 3 मंत्रियों और 6 विधायकों के घरों में तोड़फोड़ की। इनमें मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के दामाद और बीजेपी विधायक आरके इमो का घर भी शामिल था। सुरक्षा बलों ने आंसू गैस के गोले दागकर गुस्साई भीड़ को तितर-बितर करने के कई प्रयास किए लेकिन तनाव अभी तक बना हुआ है। अधिकारियों ने इंफाल घाटी के कई जिलों में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया है और भड़काऊ सामग्री के प्रसार को रोकने के लिए इंटरनेट सेवाओं को बंद कर दिया है।
रविवार को नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) ने शांति बहाल करने में पूरी तरह से असफल रही सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया। इससे पहले कुकी पीपुल्स अलायंस (KPA) ने भी इसी साल की शुरुआत में राज्य में बिगड़ती जातीय हिंसा के मुद्दे पर सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। NPP ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखकर अपने फैसले की जानकारी देते हुए कहा कि बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली मणिपुर सरकार इस संकट को सुलझाने और सामान्य स्थिति बहाल करने में पूरी तरह से असफल रही है। हालांकि बीजेपी के पास 32 विधायकों के साथ बहुमत बरकरार है और उसे 5 नागा पीपुल्स फ्रंट (NPF) विधायकों और 6 जनता दल (यूनाइटेड) सदस्यों का भी समर्थन प्राप्त है।
मणिपुर कांग्रेस अध्यक्ष कीशम मेघचंद्र ने भी राजनीतिक उथल-पुथल के बीच कहा कि अगर मणिपुर के लोग शांति चाहते हैं और इसके लिए नया जनादेश लाना चाहते हैं, तो मैं कांग्रेस के सभी विधायकों के साथ विधायक पद से इस्तीफ़ा देने को तैयार हूं। उन्होंने इस बारे में X पर भी लिखा है। बीजेपी नीत सरकार पर अशांति को शांत करने और राज्य में स्थिरता बहाल करने का दबाव बढ़ता ही जा रहा है। मणिपुर इंफाल घाटी में रहने वाले मेइती समुदाय और पहाड़ी इलाकों में रहने वाले कुकी गुट जातीय संघर्षों से जूझ रहा है। मेइती समुदाय की ओर से अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने की मांग के बाद स्थिति और बिगड़ गई। इसके कारण पहाड़ी जिलों में आदिवासी समूहों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। मई 2023 में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के बाद हिंसा भड़क उठी और तब से अब तक हजारों लोग विस्थापित हो चुके हैं।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह महाराष्ट्र चुनाव की अपनी सभी चुनावी रैलियों को रद्द कर दिल्ली लौट आए और मणिपुर में बिगड़े हालातों की समीक्षा की। उन्होंने सुरक्षा बलों को आदेश दिया कि वे व्यवस्था बहाल करने के लिए जरूरी कदम उठाएं। गृह मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि स्थिति अभी तक नाज़ुक बनी हुई है और दोनों समुदायों के हथियारबंद उपद्रवी हिंसा में शामिल हैं। शाह सोमवार को आगे की कार्रवाई पर चर्चा करने के लिए एक और बैठक करने वाले हैं। बढ़ते संकट से निपटने के लिए केंद्र ने हाल ही में जिरीबाम सहित 6 पुलिस थाना क्षेत्रों में सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम फिर से लागू किया है।