Mahanatya Chakravyuh in Agra: रविवार (5 जनवरी 2025) को आगरा के सुरसदन प्रेक्षागृह (Soorsadan Auditorium) में द्वापर युग का हर वो क्षण जीवंत हो गया जब अपनों ने ही अपनों का वध किया था। हम बात कर रहे हैं हरिद्वार में कुष्ठ रोगियों एवं अन्य सेवा प्रकल्पों को समर्पित “दिव्य प्रेम सेवा मिशन” (Divya Prem Seva Mission) द्वारा आयोजित महानाट्य चक्रव्यूह के मंचन की। महानाट्य में श्रीकृष्ण की छवि को जीवंत करते हुए नितिश भारद्वाज ने अपने छंदमय संवाद से द्वापर युग के हर क्षण को एक बार दोहरा दिया। उनके अभिनय ने सदन में उपस्थित सभी दर्शकों का मन मोह लिया। बताते चलें, नीतीश भारद्वाज ने बीआर चोपड़ा द्वारा निर्मित एवं उनके पुत्र रवि चोपड़ा द्वारा निर्देशित बहुचर्चित धारावाहिक महाभारत (Mahabharat) में श्रीकृष्ण का किरदार निभाया था।
महानाट्य “चक्रव्यूह” कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रगान एवं मां भारती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलन से हुआ। संस्थापक अध्यक्ष आशीष गौतम, डॉ प्रमोद शर्मा, संजय चतुर्वेदी, केंद्रीय राज्य मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल, राज्यसभा सांसद नवीन जैन, कैबिनेट मंत्री बेबी रानी माैर्य, उप्र लघु उद्योग निगम के अध्यक्ष राकेश गर्ग, आनंद जी, जिलाधिकारी जे रविंद्र गौड़, संजय अग्रवाल आदि ने दीप प्रज्ज्वलित किया। कार्यक्रम संयोजक संजीव माहेश्वरी ने विषय प्रस्तावना रखी। संस्था द्वारा किए जा रहे कार्यों को एक डॉक्यूमेंट्री के माध्यम से दिखाया गया। संस्थापक अध्यक्ष डॉ आशीष गौतम ने संस्था के उद्देश्याें काे रखा।
क्षेत्रीय कार्यवाह आरएसएस डॉ. प्रमोद शर्मा ने सदन में उपस्थित सभी लोगों का स्वागत एवं अभिनंदन करते हुए कार्यक्रम की महत्ता पर प्रकाश डाला। विभाग प्रचारक आनंद जी ने भी अपने उद्बोधन में बड़े सुंदर शब्द कहे। महानाट्य चक्रव्यूह के लेखक एवं निर्देशक अतुल सत्य कौशिक (Atul Satya Koushik) ने कहा कि महानाट्य को श्रीकृष्ण के दृष्टिकोण से लिखा गया। देशभर में 100 से भी अधिक बार इसका मंचन हो चुका है। महानाट्य में अभिमन्यु साहिल छावड़ा और अर्जुन की पत्नी उत्तरा की भूमिका में सुषमिता मेहता ने अपने अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। महाना्टय के समापन पर स्वागत मंत्री अभिनव मौर्य ने धन्यवाद ज्ञापित किया। संचालन संयोजक मनीष अग्रवाल रावी एवं सह संयोजक ललित शर्मा ने किया।
महानाट्य चक्रव्यूह (Mahanatya Chakravyuh) के अगर सारांश पर जाएं तो ज्ञात होता है कि लेखक ने द्वापर में घटित उस चक्रव्यूह की घटना को वर्तमान से जोड़ा है। श्रीकृष्ण के संदेश को भी बताया है कि कोई भी अपने कर्मों से रचे गए स्वयं के चक्रव्यूह से कभी मुक्त नहीं हो सकता है। अगर देखा जाए तो हमारा संपूर्ण जीवन भी इस चक्रव्यूह के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है। सत्कर्म ही हैं जो हमें इस जीवन रूपी चक्रव्यूह से विजयी बनाकर बाहर निकाल सकते हैं। चक्रव्यूह में फंसकर अभिमन्यु की मृत्यु पर आधारित महानाट्य कर्म ने धर्म, निष्ठा के साथ साथ माता पिता के उत्तर दायित्वों का भी संदेश जनता तक पहुंचाया।