ISRO Satellite Docking Successful: भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल कर विश्व के अग्रणी देशों के क्लब में शामिल हो गया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने गुरुवार सुबह दो उपग्रहों को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में स्थापित कर इतिहास रच दिया। इसरो के ये इतिहास रचने के साथ ही भारत अमेरिका, रूस, चीन के बाद यह उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश बन गया। यह तकनीक भारत की भावी योजनाओं जैसे चंद्रमा पर भारतीय मिशन (चंद्रयान-4), चंद्रमा से नमूने वापस लाना, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) का निर्माण और संचालन आदि के लिए मील का पत्थर साबित होगी।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation) ने गुरुवार को ‘स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट’ (SPADEX) के तहत उपग्रहों की ‘डॉकिंग’ सफलतापूर्वक की। इसरो ने सोशल मीडिया मंच X पर कहा, “भारत ने अंतरिक्ष इतिहास में अपना नाम दर्ज कर लिया है। सुप्रभात भारत, इसरो के स्पेडेक्स मिशन ने ‘डॉकिंग’ में ऐतिहासिक सफलता हासिल की है। इस क्षण का गवाह बनकर गर्व महसूस हो रहा है।” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने X पर कहा, “इसरो के हमारे वैज्ञानिकों और पूरे अंतरिक्ष समुदाय को उपग्रहों की अंतरिक्ष डॉकिंग के सफल प्रदर्शन के लिए बधाई। यह आने वाले वर्षों में भारत के महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष मिशनों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।”
30 दिसंबर 2024 को इसरो ने ‘स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट’ (SPADEX) मिशन को रात 10 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC) यानी शार (SHAR) से स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट (SPADEX) सफलतापूर्वक लॉन्च किया था। 12 जनवरी को इसरो ने उपग्रहों को ‘डॉक’ करने के परीक्षण के तहत दो अंतरिक्ष यानों को 3 मीटर की दूरी पर लाकर और फिर सुरक्षित दूरी पर वापस भेजा था। इस मिशन की कामयाबी भारतीय अंतरिक्ष केंद्र की स्थापना और चंद्रयान-4 जैसे मानव अंतरिक्ष मिशन के लिए अहम साबित होगी। मिशन निदेशक एम जयकुमार ने बताया कि 44.5 मीटर लंबा PSLV-C60 रॉकेट दो अंतरिक्ष यान चेजर (SDX 01) और टारगेट (SDX 02) लेकर गया है।
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (Minister of Science & Technology) डॉ. जितेंद्र सिंह ने X पर ट्वीट किया, “इसरो को बधाई। आखिरकार आपने कर दिखाया। स्पेडेक्स ने अविश्वसनीय…डॉकिंग पूरी कर ली है और यह पूरी तरह स्वदेशी भारतीय डॉकिंग सिस्टम है। इससे भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन और चंद्रयान 4 और गगनयान सहित भविष्य के महत्वाकांक्षी मिशनों के सुचारू संचालन का मार्ग प्रशस्त होता है।”
डॉकिंग का अर्थ होता है जोड़ना और अंतरिक्ष में ‘डॉकिंग’ शब्द का प्रयोग दो अंतरिक्ष यानों को पास में लाकर जोड़ना। डॉकिंग प्रौद्योगिकी की तब जरूरत होती है जब साझा मिशन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए कई रॉकेट प्रक्षेपित करने पड़ते हैं। वांछित कक्षा में प्रक्षेपित होने के बाद दोनों अंतरिक्ष यान एक दूसरे से करीब 20 किलोमीटर दूर हो जाएंगे। इसके बाद ही डॉकिंग प्रक्रिया शुरू होती है। इस प्रक्रिया के तहत दोनों यानों की दूरी 20 किमी से धीरे-धीरे 5 किमी, फिर 1.5 किमी, 500 मीटर, 225 मीटर, 15 मीटर और अंत में 3 मीटर तक कम हो जाएगी, जहां डॉकिंग होगी। डॉक हो जाने के बाद मिशन पेलोड संचालन के लिए उन्हें अनडॉक करने से पहले अंतरिक्ष यान के बीच पावर ट्रांसफर का प्रदर्शन करेगा।