ज्योतिष – बुध का तुला राशि में गोचर: ग्रह मंडल के राजकुमार बुध का अपनी उच्च राशि से शुक्र की तुला राशि में प्रवेश 10 अक्टूबर को, शुक्र के साथ मिलकर बनाएंगे लक्ष्मीनारायण योग। बुध ग्रह द्विस्वभाव का ग्रह है जो वाणी, संचार, बुद्धि और ज्ञान का प्रतिनिधित्व करता है। 10 अक्टूबर को सुबह 11:25 पर बुध अपनी उच्च राशि कन्या राशि से शुक्र की राशि तुला में गोचर कर लिया है। शुक्र और बुध की युति लक्ष्मी नारायण योग बना रही है, इसलिए कुल मिलाकर यह सभी के लिए अच्छा रहेगा। बुध जब कुंडली में शुभ होते हैं, तो अच्छे परिणाम व्यक्ति को जीवन के हर क्षेत्र में मिलते हैं। वहीं कुंडली में इनकी खराब स्थिति आपको करियर-करोबार में दिक्कतें दे सकती है। बुध का अपनी उच्च राशि कन्या में प्रवेश सभी 12 राशियों पर भिन्न भिन्न प्रभाव डालेगा। यह गोचर कुछ राशियों के लिए उत्तम और कुछ राशियों के लिए मध्यम फल देगा। शेष राशियों को चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। आइये जानते हैं बुध का कन्या राशि में गोचर का सभी 12 राशियों पर प्रभाव।
- मेष राशि के जातकों के लिए बुध का तुला राशि में गोचर सप्तम भाव में होगा। जो दांपत्य, साझेदारी, व्यापार का भाव है। सप्तम भाव में बुध दांपत्य जीवन में मधुरता लायेंगे। लक्ष्मीनारायण योग बनने से व्यापार में वृद्धि होगी।
- वृषभ राशि के जातकों के लिए बुध का तुला राशि में गोचर छठे भाव में होगा। जो शत्रु, कर्ज, चोट, नौकरी का भाव है। छठे भाव में बुध का गोचर नौकरी में प्रमोशन लायेगा। पत्नी/पति के स्वास्थ्य की चिंता बन सकती है। व्यापार में अवरोध आने की योग हैं।
- मिथुन राशि के जातकों के लिए बुध का तुला राशि में गोचर पांचवें भाव में होगा। जो संतान, प्रेम, बुद्धि, प्रतियोगिता का भाव है। अपनी उच्च राशि में गोचर करते हुए बुध हर तरह से शुभ फल देंगे।
- कर्क राशि के जातकों के लिए बुध का तुला राशि में गोचर चौथे भाव में होगा। जो माता, भूमि, वाहन का भाव है। चतुर्थ भाव में गोचर करते हुए बुध शुक्र के साथ लक्ष्मीनारायण योग बनायेंगे। माता से मधुर संबंध रहेंगे। सरकारी कार्यों में सफलता मिलेगी।
- सिंह राशि के जातकों के लिए बुध का कन्या राशि में गोचर तीसरे भाव में होगा। जो पराक्रम, छोटे भाई बहिन और इच्छाओं का है। पराक्रम में वृद्धि के साथ साथ इच्छाओं की पूर्ति होगी।
- कन्या राशि के जातकों के लिए बुध का तुला राशि में गोचर द्वितीय भाव में होगा। जो धन, वाणी, कुटुंब, स्वभाव और खान पान का है। द्वितीय भाव में रहकर बुध वाणी को शुद्ध बनायेंगे और व्यवसाय में वृद्धि होगी।
- तुला राशि के जातकों के लिए बुध का तुला राशि में गोचर प्रथम (लग्न) भाव में होगा। जो हमारे शरीर, मुख और दादी का भाव है। प्रथम भाव में शुक्र के साथ बुध लक्ष्मीनारायण योग बनायेंगे और दिशा बल मिलने के कारण और मजबूत होकर शुभ फल देंगे।
- वृश्चिक राशि के जातकों के लिए बुध का तुला राशि में गोचर द्वादश भाव में होगा। जो व्यय, भोग, विदेश का भाव है। बुध का द्वादश में गोचर फिजूलखर्ची बढ़वा सकता है। कार्यक्षेत्र में कुछ तनाव बन सकता है।
- धनु राशि के जातकों के लिए बुध का तुला राशि में गोचर एकादश भाव में होगा। जो लाभ, आय, इच्छापूर्ति का है। एकादश में बुध का गोचर लक्ष्मीनारायण योग बनाकर हर मायने में शुभ फल देगा। आपकी लंबे समय से चली आ रही इच्छा की पूर्ति के योग बनेंगे।
- मकर राशि के जातकों के लिए बुध का तुला राशि में गोचर दशम भाव में होगा। जो कार्यक्षेत्र, राज्य, पिता का भाव है। दशम भाव में तुला के बुध शुक्र के साथ मिलकर लक्ष्मीनारायण योग बनाते हुए कैरियर में विशेष सफलता के योग बनाएंगे।
- कुंभ राशि के जातकों के लिए बुध का तुला राशि में गोचर नवम भाव में होगा। जो भाग्य, धर्म, पिता का भाव है। बुध का नवम भाव में गोचर व्यापार और कैरियर में वृद्धि के योग बनाएगा। पिता का सहयोग प्राप्त होगा।
- मीन राशि के जातकों के लिए बुध का तुला राशि में गोचर अष्टम भाव में होगा। जो आयु, शोध, अचानक हानि व लाभ का भाव है। अष्टम भाव में उच्च के बुध व्यापार में अचानक लाभ के योग बनाएंगे। त्वचा संबंधी रोग से परेशान रह सकते हैं।
उपाय: बुध के अशुभ प्रभाव की तीव्रता कम करने और शुभ प्रभाव को और बढ़ाने के लिए अपनी बेटी, बहिन, बुआ का सम्मान करें एवं उन्हें उपहार दें। छोटी कन्याओं को हरी चूड़ियां पहनायें। किन्नरों को भोजन करायें एवं भेंट दें। गाय को हरा चारा खिलायें और बुध के बीज मन्त्र का जाप करें।