भगवान सच में हैं, अब वैज्ञानिक भी मानने को मजबूर, सब कुछ इतना सटीक सिर्फ संयोग नहीं! हार्वर्ड साइंटिस्ट ने मैथ्स के एक फॉर्मूले से किया साबित।

भगवान सच में हैं, अब वैज्ञानिक भी मानने को मजबूर, सब कुछ इतना सटीक सिर्फ संयोग नहीं! हार्वर्ड साइंटिस्ट ने मैथ्स के एक फॉर्मूले से किया साबित।

Harvard Scientist Claims ‘God Is Real’: भगवान को लेकर हर किसी के अपने-अपने विचार होते हैं। किसी का मानना है कि भगवान का कोई अस्तित्व नहीं है तो कोई अलग-अलग धर्मों में आस्था रख कर भगवान की पूजा करता है। काम जब तक अपने मन के होते रहते हैं तो लोग ईश्वर के अस्तित्व को नहीं मान पाते लेकिन बेवजह कष्टों का सामने आना लोगों को मजबूर करता है कि हमारे अलावा कोई और भी जिसका हमारी हर क्रिया पर नियंत्रण है।

यहीं से जिज्ञासा जन्म लेती है कि क्या हमारे ब्रम्हांड में भगवान जैसी कोई चीज है भी या नहीं। वहीं अब इस जिज्ञासा को उत्तर मिला और वह भी वैज्ञानिक तथ्यों के साथ। हाल ही में एक वैज्ञानिक ने क्रांतिकारी खुलासा किया है। हार्वर्ड के एस्ट्रोफिजिशियस्ट और एयरोस्पेस इंजीनियर डॉक्टर विली सून ने दावा किया है कि गणित का एक सूत्र भगवान के अस्तित्व का अंतिम प्रमाण हो सकता है।

भगवान के अस्तित्व का वैज्ञानिक आधार

डॉक्टर विली सून हाल ही में ‘टकर कार्ल्सन नेटवर्क’ पॉडकास्ट पर दिखाई दिए। इस दौरान उन्होंने कुछ फॉर्मूले पेश किए और सुझाव दिया कि ब्रह्मांड का रहस्य मात्र तारों में ही नहीं, लेकिन गणित के कुछ बुनियादों में भी लिखे हो सकते हैं। अपनी थ्योरी में उन्होंने ‘फाइन ट्यूनिंग आर्ग्यूमेंट’ को मुख्य केंद्र बनाया है, जो सुझाव देता है कि ब्रम्हांड के फिजिकल लॉ सटीक रूप से जीवन को समर्थन देने के लिए संतुलित किए गए हैं। यह महज कोई संयोग तो नहीं हो सकता है।

गणित में छिपा है भगवान का अस्तित्व

यह फॉर्मूला सबसे पहले कैंब्रिज के गणितज्ञ पॉल डिराक की ओर से प्रस्तावित किया गया था। इसमें यह दर्शाया गया है कि कैसे कुछ कॉस्मिक एलाइन बिल्कुल अद्भुत सटीकता के साथ एक-दूसरे से मेल खाते हैं। इस घटना ने वैज्ञानिकों को चौंकाया। डिराक ने अनुमान लगाया है कि यूनिवर्स के फिजिकल लॉ के परफेक्ट बैलेंस को गणित के थ्योरी में महान सुंदरता और शक्ति के संदर्भ में परिभाषित किया जा सकता है। इसे समझने के लिए व्यक्ति को हाई इंटेलिजेंस की आवश्यकता पड़ेगी।

साल 1963 में गणितज्ञ पॉल डिराक ने अपनी किताब में लिखा,’ कोई शायद इस स्थिति का वर्णन इस तरह कर सकता है कि भगवान एक बेहद उच्च श्रेणी के गणितज्ञ हैं। उन्होंने यूनिवर्स को बनाने में बेहद एडवांस मैथमैटिक्स का इस्तेमाल किया।’

सनातन धर्म में वर्णित बुद्धि के प्रकार

वैज्ञानिकों द्वारा कही गई यह हाई इंटेलिजेंस की बात सनातन धर्म में वर्णित बुद्धि के 4 प्रकार से मेल खाती है। बुद्धि, मेधा बुद्धि, ऋतम्भरा बुद्धि और प्रज्ञा बुद्धि। ऋतम्भरा बुद्धि वाला व्यक्ति ईश्वर के अस्तित्व को भली भांति महसूस करता है और ईश्वर द्वारा बनाई सृष्टि भी उसे समझ में आने लगती है। उसके ऊपर है प्रज्ञा बुद्धि। इस प्रज्ञा बुद्धि को प्राप्त करने वाला व्यक्ति मोक्ष का अधिकारी होता है और जीवन मरण के चक्र से मुक्ति पा लेता है। यानी वह इस अवस्था में पहुंच कर सब कुछ जान लेता है।

विज्ञान और धर्म

पॉडकास्ट में डॉक्टर सून ने डिराक की थ्योरी के जरिए भगवान के अस्तित्व को लेकर बात की। उन्होंने कहा,’ हमारे जीवन को रोशन करने वाली हमेशा उपस्थित इन शक्तियों के कई उदाहरण हैं, हालांकि कई वैज्ञानिकों ने साइंस को धर्म से जोड़ने से परहेज किया है।’ डॉक्टर सून ने अपना तर्क देकर कहा,’ गणित और यूनिवर्स के बीच का सामंजस्य एक जानबूझकर किए गए डिजाइन की ओर इशारा करता है। भगवान ने हमें प्रकाश का अनुसरण करने के लिए यह प्रकाश दिया है, ताकि हम अपनी पूरी कोशिश कर सकें।’