CPCB Report On Mahakumbh 2025: सरकारी आंकड़ों के अनुसार, प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में अब तक 50 करोड़ से अधिक लोगों ने 3 पवित्र नदियों के संगम में डुबकी लगाई है। 13 जनवरी को शुरू हुआ महाकुंभ मेला 26 फरवरी तक चलेगा। अगर इसी संख्या में लोग स्नान करने आते रहे तो वो समय दूर नहीं जब संगम में डुबकी लगाने वालों की संख्या 60 करोड़ को पार कर जाएगी। रिपोर्ट के मुताबिक गंगा में फीकल कोलीफॉर्म की मात्रा सबसे अधिक 20 जनवरी को 49 हजार थी जबकि सबसे कम 3 और 4 फरवरी को पाई गई थी।
इसी बीच केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की आई एक रिपोर्ट ने तहलका मचा दिया है। इस रिपोर्ट को पढ़कर संगम में आस्था रखने वालों को धक्का लगा है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रयागराज में गंगा-यमुना का पानी नहाने के योग्य नहीं है। बोर्ड का कहना है कि प्रयागराज में दोनों नदियों का पानी नहाने के पानी के बुनियादी शर्तों को भी पूरा नहीं करता है। सीपीसीबी ने यह रिपोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) में जमा करवाई है। उसने इस रिपोर्ट को 3 फरवरी को तैयार किया था।
फीकल कोलीफॉर्म है क्या ?
सीपीसीबी के मुताबिक किसी पानी में फीकल (मल) कोलीफॉर्म की स्वीकार्य मात्रा 100 मिलीलीटर में 2,500 यूनिट हैं। इस मात्रा से अधिक पाए जाने पर पानी को प्रदूषित माना जाता है। मल कोलीफार्म बैक्टीरिया मनुष्यों और जानवरों की आंतों में पाए जाने वाले सूक्ष्मजीवों का एक समूह है। पानी में उनकी मौजूदगी पानी में सीवेज या पशु अपशिष्ट से प्रदूषण का संकेत है। सभी कोलीफॉर्म बैक्टीरिया हानिकारक नहीं होते हैं। अगर किसी पानी में मल कोलीफॉर्म पाया जाता है तो उसमें वायरस, साल्मोनेला और ई कोलाई जैसे खतरनाक पैथोजन की मौजूदगी की आशंका बढ़ जाती है।
गंगा-यमुना के जमा 73 सैंपल की 6 मानकों पर जांच की गई। ये मानक हैं- पानी का पीएच वैल्यू, फीकल कोलीफॉर्म, बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड, केमिकल ऑक्सीजन डिमांड और डिजॉल्वड ऑक्सीजन। जितने भी जगहों से सैंपल लिए गए हैं, उनमें ज्यादातर में फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया की मात्रा मानक से अधिक पाई गई है। जबकि केवल 5 मानकों पर पानी की गुणवत्ता मानक के मुताबिक मिली। सीपीसीबी की वेबसाइट पर दिए आंकड़ों के मुताबिक 29 जनवरी को संगम पर गंगा में फीकल कोलीफॉर्म की मात्रा 2300 पाई गई थी। वहीं दीहा घाट पर गंगा में फीकल कोलीफॉर्म की मात्रा 400, ओल्ड नैनी ब्रिज पर यमुना में फीकल कोलीफॉर्म की मात्रा 13 हजार थी। वहीं संगम पर यमुना के गंगा में मिलने से पहले उसे फीकल कोलीफॉर्म की मात्रा 7900 पाई गई थी।