अहमदाबाद में साबरमती रिवरफ्रंट पर शुरू हुआ फ्लावर शो, फूलों से लिखा गया ‘भारत 2036’, 10 लाख से ज्यादा फूलों की प्रदर्शनी ने दर्शकों का मन मोहा।

अहमदाबाद में साबरमती रिवरफ्रंट पर शुरू हुआ फ्लावर शो, फूलों से लिखा गया ‘भारत 2036’, 10 लाख से ज्यादा फूलों की प्रदर्शनी ने दर्शकों का मन मोहा।

Ahmedabad Flower Show 2025: गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने शुक्रवार को साबरमती रिवरफ्रंट पर अंतरराष्ट्रीय पुष्प प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। यह फ्लावर शो 3 जनवरी से 22 जनवरी तक जनता के लिए खुला रहेगा। बतादें, इस फ्लावर शो को छह जोन में विभाजित किया गया है, जिसमें 50 प्रजातियों के 10 लाख से अधिक फूल और मिट्टी की बनी 30 से अधिक मूर्तियां प्रदर्शित की गई हैं।

आयोजकों के अनुमान के अनुसार, इस फूल प्रदर्शनी देखने के लिए लाखों लोग आ सकते हैं। आगंतुकों की सुविधा के लिए आयोजन स्थल पर फूलों, मिट्टी की मूर्तियों और जोन के बारे में अधिक जानने के लिए ऑडियो गाइड का प्रबंध किया गया है। इसके लिए बस हर स्टॉल पर उपलब्ध क्यूआर कोड को स्कैन करना होगा। आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, इस फ्लावर शो का प्रवेश शुल्क सोमवार से शुक्रवार तक 70 रुपये है जबकि सप्ताहांत को ध्यान में रखते हुए शनिवार व रविवार को प्रवेश शुल्क 100 रुपये रखा गया।

2023 में आयोजित इस प्रदर्शनी में लगभग 20 लाख आगंतुक आए थे और इस वर्ष यह संख्या और भी ज्यादा जा सकती है। पिछले वर्ष ‘गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड’ में प्रदर्शनी को बहुचर्चित 400 मीटर लंबी फूलों की दीवार के लिए उल्लेखित किया गया था। साबरमती रिवरफ्रंट पर इस पुष्प प्रदर्शनी का सबसे पहली बार आयोजन 2013 में किया गया था। इस बार की प्रदर्शनी को पूरे 6 जोन में बांटा गया है।

जोन-1: यह जोन देश की वृद्धि और विकास पर केंद्रित है। कमल, मेहराब और कोणार्क और हाथियों को फूलों से दिखाया गया है।
जोन 2: इस जोन में बाघ, मोर, राजहंस और एशियाई शेर जैसे जानवरों की फूलों से निर्मित मूर्तियां दर्शाई गईं हैं।
जोन 3: जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों से निपटने में भारत के वैश्विक नेतृत्व को चित्रित करता है, जो एक स्थायी भविष्य पर जोर देता है।
जोन 4 और 5: इन दो जोनों में भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, इतिहास और प्राकृतिक सुंदरता प्रदर्शित किया गया है।
जोन 6: इसमें भारत की आकांक्षाओं को दर्शाया गया है, जिसमें 2036 ओलंपिक, गांधीजी के तीन बंदर और वसुधैव कुटुंबकम की दृष्टि शामिल हैं।