कृषि – केले की G9 किस्म: बिहार के गुरारू के किसान ने पहली बार की केले की खेती, बंपर पैदावार ने स्थापित किए नए कीर्तिमान। बिहार के किसान कृषि में कुछ नया अजमाने की कोशिश कर रहे हैं। इस बार उन्होंने बागवानी फसलों की खेती के चलन को तेजी से बढ़ाया है। गया जिले के गुरारू प्रखंड में भी केले की खेती जोर पकड़ रही है। गुरारू में केेले की खेती करने वाले पहले किसान ने अपनी लागत से लेकर मुनाफे तक साझा किया है। मुनाफे के आंकड़ों ने सभी को अचंभित किया है।
किसानों को कृषि विभाग से मिल रहे प्रोत्साहन का सकारात्मक असर अब साफ दिख रहा है। केले की खेती की जबरदस्त पैदावार की वजह से गुरारू प्रखंड का नाम बच्चे बच्चे की जुबां पर है। गुरारू में केले की खेती अपनाने वाले पहले किसान विनीत बताते हैं कि उन्हें एक साल में ही इसका फायदा होने लगा है। उन्होंने बताया कि केले का उत्पादन होने के बाद वह बिक्री शुरू कर चुके हैं।
किसान ने अपने अनुभव को साझा करते हुए बताया कि उन्होंने डबूर गांव में 3 एकड़ जमीन को बागवानी के लिए तैयार किया था और इसमें केले की G-9 किस्म के 3300 पौधे लगाए थे। इस फसल को तैयार करने में 4 लाख रुपये का खर्चा आया था और करीब 1 लाख रुपये खेत की घेराबंदी करने में खर्च हो गया। लेकिन एक साल में ही बंपर उत्पादन की वजह से वह काफी खुश हैं। अनुमान है कि इस बार उन्हें लगभग 750 क्विंटल उत्पादन मिलेगा, जिससे उन्हें 6 लाख रुपये से ज्यादा मुनाफा होने की उम्मीद है।
भारत के अधिकतर हिस्सों में व्यापार की दृष्टि से केले की जी-9 किस्म काफी लोकप्रिय है। यह किस्म टीशू कल्चर से तैयार की गई है। इस फसल की खास बात यह 9-10 महीने में तैयार हो जाती है। इस किस्म का केला पकने के बाद सामान्य तापमान पर 12 से 15 दिन तक सुरक्षित रह सकता है, जबकि उपचार के बाद इसे एक महीने तक संरक्षित रखा जा सकता है। जी-9 केला बीजरहित, बड़ा और बहुत मीठा होता है।