सूर्य पुत्र शनि देव को समर्पित यह मंदिर भारत के मध्यप्रदेश प्रांत की धार्मिक नगरी उज्जैन में सांवेर-इंदौर मार्ग पर शिप्रा नदी के त्रिवेणी संगम पर स्थित है। इस शनि मंदिर को नवग्रह मंदिर के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि लगभग 2000 साल पहले इस मंदिर की स्थापना राजा विक्रमादित्य ने की थी। कहा जाता है कि विक्रमादित्य ने इस मंदिर के बनाने के बाद ही विक्रम संवत की शुरुआत की थी।
त्रिवेणी शनि मंदिर (Triveni Shani Temple) में मुख्य शनिदेव की प्रतिमा के साथ-साथ ढय्या शनि की भी प्रतिमा भी स्थापित है। बताया जाता है कि विक्रम संवत का इतिहास भी इस मंदिर से जुड़ा हुआ है। यही नहीं, यह शनि मंदिर पहला मंदिर भी है, जहां शनिदेव शिव के रूप विराजमान है। यहां आने वाले श्रद्धालु अपनी मनोकामना के लिए शनिदेव पर तेल चढ़ाते हैं। कहा जाता है कि यहां साढ़ेसाती और ढय्या की शांति के लिए शनिदेव पर तेल चढ़ाया जाता है।
मान्यतानुसार, शनि अमावस्या के दिन यहां 5 क्विंटल से भी अधिक तेल शनिदेव पर चढ़ता है। मंदिर प्रशासन को इसके लिए कई टंकी की व्यवस्था करना पड़ती है। बाद में इस तेल को नीलाम किया जाता है। माना जाता है कि शनि अमावस्या दे दिन श्रद्धालु शिव रूप में शनिदेव को तेल चढ़ाकर प्रसन्न करते हैं। कहा जाता है कि जो भी यहां सच्चे मन से शनिदेव को प्रसन्न करता है उसे शनिदेव कभी दुख नहीं देते हैं, सारे कष्ट दूर कर देते हैं।