भगवान सूर्य को समर्पित यह मंदिर भारत के झारखंड प्रांत के रांची जिले के बुंडू नगर के एदेलहातु गांव में स्थित है। बुंडू स्थित सूर्य मंदिर का निर्माण रांची के एक एक्सप्रेस समूह के प्रबंध निदेशक श्री सीता राम मारू की अध्यक्षता में एक धर्मार्थ ट्रस्ट संस्कृति विहार द्वारा किया गया था। मंदिर की आधारशिला 24 अक्टूबर 1991 को स्वामी श्री वासुदेवानंद सरस्वती द्वारा रखी गई थी और 10 जुलाई 1994 को स्वामी श्री वामदेव जी महाराज द्वारा प्राण प्रतिष्ठा की शुरुआत की गई थी।
बुंडू सूर्य मंदिर (Sun Temple, Bundu) के मुख्य पुजारी ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि भगवान राम ने वनवास जाते समय यहां रुककर सूर्य भगवान की उपासना की थी। संस्कृति विहार ने जमींदार प्रधान सिंह मुंडा से 11 एकड़ में जमीन दान में लेकर 24 अक्टूबर 1991 को सूर्य मंदिर की स्थापना की थी। यहां झारखंड के अलावा बिहार, बंगाल और छत्तीसगढ़ से छठव्रती सूर्य को अर्घ्य देने पहुंचते हैं। मंदिर के पास बड़ा कुंड बना है, जहां व्रती अर्घ्य देते हैं। यहां अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के बाद रात में ठहरने की भी व्यवस्था है।
मंदिर की आधारभूत संरचना संगमरमर के पत्थर से निर्मित है। रांची से 40 किलोमीटर दूर रांची-टाटा मार्ग पर स्थित सूर्य मंदिर का निर्माण एक विशाल रथ के रूप में किया गया है, जिसमें 18 पहिये और 7 घोड़े हैं। मंदिर के अंदर शिव, पार्वती और गणेश सहित कई मूर्तियां विराजमान हैं। यह मंदिर रांची जिला का काफी प्रसिद्ध मंदिर है, जो देखने में काफी मनमोहक प्रतीत होता है। जिसे देखने एवं मंदिर के दर्शन के लिए साल भर भक्तों का तांता लगा रहता है।
सूर्य मंदिर में मुख्य मेला 25 जनवरी को प्रत्येक वर्ष मेला कमिटी की तरफ से लगाया जाता है, मेला में देश विदेश से लाखों लोग देखने के लिए पहुंचते है। मेला के दिन मेला में काफी भीड़ होती है। मेले में तरह तरह के बच्चे के झूले, खिलौने और खाने पीने के कोई साधन उपलब्ध होते है। सूर्य मंदिर के सामने एक बड़ा तालाब है, जहां लोग स्नान कर सूर्य भगवान की पूजा- अर्चना करते है। छठ पूजा के दिन काफी भीड़ होती है। उस दिन सभी छठव्रतियां सुबह से ही तालाब में पहुंचती है, और सूर्य भगवान की पूजा- अर्चना कर अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करने की मन्नते मांगते है।