भगवान सूर्य को समर्पित यह मंदिर भारत के हिमाचल प्रदेश प्रांत के रामपुर से 18 किमी दूर सतलुज नदी घाटी के नीरथ गांव में स्थित है। स्थानीय लोगों की मान्यतानुसार, नीरथ सूर्य मंदिर का निर्माण भगवान परशुराम के नेतृत्व में हुआ था। एक और मान्यतानुसार, पांडव अपने बनवास के दौरान यहां रुके थे, तो संभव है कि इस मंदिर का निर्माण पांडवों द्वारा कराया हो। वैसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के सर्वेक्षणों से पता चलता है कि इसका निर्माण 12 वीं शताब्दी से पहले हुआ होगा।
नागरा शैली में बनाए गए इस सूर्य मंदिर के गर्भगृह में भगवान सूर्य की पत्थर की बनी मूर्ति 3 फीट ऊंची और 4 फुट चौड़ी है। इस मूर्ति में भगवान सूर्य को 7 अश्वों पर सवार दिखाया गया है। लकड़ी के खंभों पर नक्काशीदार कंगनी और फूल शानदार ढंग से सजाए गए हैं। मंदिर लाल बलुआ पत्थर से ‘नागरा’ के अनूठे आकार में बनाया गया है। माना जाता है कि यह मंदिर भगवान परशुराम ने बनाया है। यह उत्तर भारत में स्थित एकमात्र सूर्य मंदिर है। इस गांव के रहने वाले लोग हिंदू धर्म में आस्थावान हैं और यह गांव सूर्यदेव को समर्पित है। मंदिर का अधिकतर हिस्सा लकड़ी का बना है। मुख्य मंदिर लाल रंग का है और दीवारों पर खास शिल्पकला को उकेरा गया है। इस मंदिर में मूर्तिकला को भी चित्रों में देखा जा सकता है। मंदिर प्रांगण में कई शिवलिंग रखे गए हैं।
मान्यतानुसार, पांडव अपने अज्ञातवास के दौरान यहां पर रुके थे। नीरथ सूर्य मंदिर (Nirath Sun Temple) का उल्लेख साल 1908 में मार्शल ने किया था, लेकिन साल 1909 में जब एस.एच.फ्रेंक ने शिलालेखों को खोजने की कोशिश की, तो उन्हें सफलता नहीं मिली। साहित्यकार राहुल सांस्कृत्यान (Rahul Sankrityayan) ने अपनी पुस्तक में इसका उल्लेख किया है। हर साल बूढ़ी दिवाली के मौके यहां पर मेला लगता है। इस मेले में आसपास के गांवों से बड़ी संख्या में लोग आते हैं। सबसे दु:ख का विषय यह है कि इस मंदिर तक पहुंचने का रास्ता बहुत खराब है। रास्ते के नाम पर यहां सिर्फ दो फुट की पगडंडी है। विडंबना है कि इस प्राचीन मंदिर की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। सरकार चाहें तो नीरथ गांव के इस सूर्य मंदिर में प्रसिद्ध पर्यटक स्थल के रूप में स्थापित किया जा सकता है।