भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र साम्ब द्वारा स्थापित सूर्य देव को समर्पित यह मंदिर भारत के बिहार प्रांत के नवादा जिले के नारदीगंज प्रखंड के हंड़िया गांव में स्थित है। द्वापरकालीन युग से जुड़े इस सूर्य मंदिर पर छठ पर्व मनाने का अपना अलग ही महत्व है। यहां ग्रामीणों के अलावा राज्य के अन्य जिलों से भी लोग छठ व्रत करने पहुंचते हैं। हंडिया सूर्य नारायण मंदिर के पुजारी बताते हैं कि यहां छठ पर विधिवत स्नान और भगवान भास्कर की पूजा से श्रद्धालुओं की सारी मनोकामनाएं पूरी होती है।
हंडिया सूर्य मंदिर (Handiya Sun Temple) के पुजारी के अनुसार, “हंड़िया सूर्य नारायण मंदिर का इतिहास द्वापरकाल से जुड़ा है। मंदिर कब बना इसके बारे में कोई बता नहीं सकता है। उन्होंने बताया कि धनिया पहाड़ी जाने के दौरान जरासंध के परिवार ने यहां पर आकर भगवान सूर्य की पूजा-अर्चना की थी। उन्होंने बताया कि मंदिर के पास पोखर निर्माण के दौरान प्राचीन मर्तियां भी मिली थी। जो अभी भी इस मंदिर में मौजूद है। उन्होंने कहा यहां के जल और मिट्टी खास है। यहां पर भगवान सूर्य पर जलार्पण कर प्रार्थना करते हैं। उनकी हर मनोकामना पूरी होती है।”
स्थानीय लोगों के अनुसार, छठ पूजा में सूर्य मंदिर परिसर में ही श्रद्धालु छठ का प्रसाद बनाते हैं। स्थानीय ग्रामीणों के सहयोग से मंदिर को आकर्षक रूप से सजाया जाता है। खरना पूजा के दिन से ही यहां श्रद्धालुओं की भीड़ जुटना शुरू हो जाती है। मंदिर के सामने एक बड़ा तालाब है। ऐसी मान्यता है कि इस तालाब में 5 रविवार स्नान कर मंदिर में भगवान सूर्य की पूजा करने लोगों की बीमारी दूर होती है। ग्रामीणों ने यह भी बताया कि पहले यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बहुत थी। लेकिन कोरोना काल के बाद से यहां आने वाले छठव्रतियों की संख्या थोड़ी कमी आई है। कोरोना के 2 साल बाद तक यहां पर रौनक नहीं दिखी। लेकिन तीसरी साल से श्रृद्धालुओं की संख्या में इजाफा हुआ है।
इतिहासकारों के अनुसार, यह स्थान श्रीकृष्ण के प्रभाव वाला इलाका रहा है। समीप ही मगध सम्राट जरासंध के राज का मुख्यालय राजगीर था। हंडिया के पवित्र सरोवर में स्नान कर पूजन करने के लिए मगध सम्राट जरासंध की पुत्री धन्यावती भी राजगीर से हंडिया आती थी। नवादा जिले से सटे गया और नालंदा जिले की सीमा से बेहद करीब रहे हंडिया सूर्य मंदिर का प्रभाव नजदीकी जिलों के साथ अन्य राज्यों में भी है। यहां आकर लाभ उठा चुके लोगों द्वारा बताए जाने के बाद अब यहां की ख्याति दूर-दूर के राज्यों तक पहुंच चुकी है। यही कारण है कि यहां 4 दिवसीय छठ महापर्व पर भारी भीड़ जुटती है। चैत्र और कार्तिक माह में होने वाले छठ पूजन पर व्रतियों एवं श्रद्धालुओं की एक समान भारी भीड़ उमड़ती है।
पौराणिक धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र साम्ब को उनकी गलतियों के कारण श्रीकृष्ण ने श्राप दे दिया था, जिसके बाद साम्ब कुष्ठ रोग से ग्रसित हो गए थे। साम्ब ने जब इससे मुक्ति के लिए प्रार्थना की, तब उन्हें 12 सूर्य मंदिरों का निर्माण कराने को कहा गया था। मान्यतानुसार, साम्ब द्वारा निर्मित विभिन्न सूर्य मंदिरों में से हंडिया सूर्य मंदिर भी एक है। बल्कि उनके इस कृत्य से उन्हें कुष्ठ रोग से भी मुक्ति मिल गयी थी, जिसके बाद से यह मान्यता प्रचलित है कि इस मंदिर में स्नान से कुष्ठ रोग से छुटकारा मिल जाता है।