शांतेश्वरनाथ महादेव मंदिर, सांती

शांतेश्वरनाथ महादेव मंदिर, सांती

भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर भारत के उत्तर प्रदेश प्रांत के फिरोजाबाद जिले के खैरगढ़ ब्लॉक के सांती गांव में स्थित है। यह प्राचीन शिव मंदिर महाभारत काल से पहले का है। मंदिर के अंदर जो शिवलिंग है वह स्वयंभू है अर्थात जमीन से निकला हुआ। खुदाई में शिवलिंग के निकलने के बाद भीष्म पितामह के पिता महाराज शांतनु ने इस मंदिर का निर्माण कराया और शिवलिंग की स्थापना की। महाराज शांतनु के नाम पर ही इस स्थान का नाम सांती पड़ा। देवों के देव महादेव के इस मंदिर की कहानी बड़ी ही अनोखी है।

फिरोजाबाद शहर से करीब 9 किलोमीटर दूर गांव की आबादी में बसे सांती का शिव मंदिर (Santi Shiv Temple) नाम से मशहूर भोलेनाथ के इस मंदिर में लोगों ने कई चमत्कार अपनी आंखों से देखे हैं। मंदिर के पुजारी रमेश गोस्वामी बताते हैं कि हमारे पूर्वजों ने हमें बताया कि इस मंदिर का निर्माण महाभारत काल से पहले किया गया। महाराज शांतनु (Shantanu Maharaj) भगवान शिवजी की आराधना करते थे। उनके समय में एक सर्प प्रतिदिन एक ही स्थान पर आकर बैठता था। खुदाई की गई तो यहां शिवलिंग निकली। जिसकी स्थापना करा दी गई। महंत बताते हैं कि भीष्म पितामह की निकासी इसी जगह से है। महाभारत के युुद्ध के बाद फिर कोई यहां नहीं आया। आज भी इस मंदिर को भीष्म पितामह के नाम से लोग जानते हैं। महाराज शांतनु मंदिर का निर्माण होने के बाद यहां से चले गए थे।

चमत्कारिक है सांती का शिव मंदिर

सांती के शिव मंदिर (Shanteshwarnath Temple) के महंत ने बताया कि मंदिर में कई चमत्कार होते रहे हैं। एक गाय यहां आकर खड़ी होती थी और उसका दूध अपने आप निकलता था। एक सांप जो मंदिर के आस-पास ही रहता था। कई बार भगवान शिव की पिंडी से लिपटे हुए लोगों ने दर्शन किए हैं। यहां जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से आता है। उसकी सभी मनोकामना पूरी होती हैं। महाशिवरात्रि के दिन मंदिर पर लक्खी मेला लगता है। काफी संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं।

कांवड़िया चढ़ाते हैं कांवड़

हर साल महाशिवरात्रि के मौके पर और श्रावण मास के हर सोमवार को यहां भव्य मेला आयोजित किया जाता है। यहां कांवड़ चढ़ाने की भी परम्परा है। यहां आसपास के इलाके से जो भी शिव भक्त कांवड़ लेने के लिए जाते है। वह सभी इसी मंदिर से बाबा का आशीर्वाद लेकर कांवड़ यात्रा की शुरुआत करते है और यहीं पर इसका समापन किया जाता है। कासगंज जिले के सोरों क्षेत्र से कांवड़िया कांवड़ (गंगाजल) लाते हैं और सांती की शिव मंदिर में चढ़ाते हैं।