श्री शनिदेव मंदिर, रुनकता

श्री शनिदेव मंदिर, रुनकता

सूर्य पुत्र शनिदेव को समर्पित यह मंदिर भारत के उत्तरप्रदेश प्रांत के आगरा शहर से 16 किलोमीटर दूर भगवान परशुराम की जन्मस्थली रुनकता में स्थित है। रुनकता का नाम भगवान परशुराम की मां रेणुका के नाम पर पड़ा। इसलिए शनिदेव का यह मंदिर ‘रेणुका धाम’ नाम से भी प्रसिद्ध है। शनिदेव का यह प्राचीन मंदिर इतना चमत्कारिक है कि यहां से आज तक कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं लौटा है। कहा जाता है कि भगवान शनिदेव की कुदृष्टि जिसके भी ऊपर पड़ जाए उसकी जिंदगी भंवर में फंस जाती है। लेकिन जिस किसी पर भी भगवान शनिदेव की कृपा बरसती हो तो वह धन्य धाम से संपन्न हो जाता है। आगरा का ऐसा ही प्राचीन शनि देव मंदिर रनकता में मौजूद है जहां हर शनिवार को दूर-दूर से लोग पूजा अर्चना करने के लिए इस मंदिर में पहुंचते हैं।

रुनकता शनिदेव मंदिर (Runkata Shanidev Temple) का इतिहास बहुत पुराना है। वर्तमान में रुनकता के नाम से जाने जाना वाला स्थान प्राचीन काल में रेणुका धाम नाम से जाना जाता था। रेणुका धाम (Renuka Dham) भगवान परशुराम की तपोभूमि है। भगवान परशुराम की माता के नाम पर ही उसका नाम रेणुका धाम पड़ा था। प्राचीन काल से ही यहां शनिदेव भगवान का मंदिर है और दूर-दूर से लोग अपनी मन की मुराद लेकर हर शनिवार को लगने वाले मेले में आते हैं और मंदिर में खास पूजा अर्चना करते हैं।

रुनकता के श्री शनिदेव मंदिर के महंत बताते हैं कि शनि देव महाराज की पूजा अलग तरीके से होती है। भगवान शनि देव को काले तिल चढ़ाने के साथ तिल के तेल का दिया जलाया जाता है। काली उड़द की दाल भी शनिदेव को प्रिय है। इस मंदिर में शनिदेव को काले कपड़े में काले तिल को बांधकर शनिदेव को अर्पित करने की परंपरा है। सावन महीने के शनिवार की अमावस्या का विशेष महत्व रहता है। वैसे तो हर शनिवार को यहां पर मेला लगता है लेकिन सावन के शनिवार की अमावस्या के दिन भक्तों का यहां पर तांता लगा रहता है।

देशभर से भारी संख्या में शनिदेव के भक्त यहां भगवान के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। शनिदेव के भक्त उन्हें तिल अर्पण करने के साथ तेल का दीप दान करते हैं। तेल बर्बाद ना हो इसलिए मंदिर प्रशासन ने खास इंतजाम किए हैं। तेल को एक पाइप में डाला जाता है जो बाहर लगे पीपो में एकत्रित होता है। इसे रिसाइकल करके दोबारा से मार्केट में भेज दिया जाता है। जिससे तेल बर्बाद भी नहीं होता है।