पसीना वाले हनुमान जी मंदिर, चंद्रवाड़: प्रभु श्रीराम के अनन्य भक्त हनुमान जी को समर्पित यह मंदिर भारत के उत्तर प्रदेश प्रांत के फिरोजाबाद शहर से 9 किलोमीटर दूर चंद्रवाड़ गांव में स्थित है। यह मंदिर हजारों वर्ष पुराना है। इस मंदिर में विराजमान हनुमान जी की प्रतिमा अपने आप में अनोखी है। इस प्रतिमा से हर समय पसीना निकलता रहता है। जिस कारण इस मंदिर को पसीना वाले हनुमान जी के मंदिर के नाम से जाना जाता है। मंदिर में स्थापित हनुमान जी की प्रतिमा करीब 2 फीट की है। मंदिर के द्वार पर राम स्तुति लिखी हुई है। वहीं दूसरी ओर हनुमान वंदना अंकित है। हनुमान जी की पूजा अर्चना करने आने वाले श्रद्धालु पहले राम स्तुति करते हैं। उसके बाद हनुमान जी की पूजा अर्चना कर उन्हें प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं।
पसीना वाले हनुमान जी मंदिर (Pasina Wale Hanuman Ji Temple) के महंत बताते हैं कि मंदिर में लगी हनुमान प्रतिमा को हर समय पसीना आता रहता है, जिसकी वजह से जो कोई भक्त हनुमान की मूर्ति पर चोला चढ़ाता है, वो पानी की तरह बह जाता है। इस चमत्कार को देखकर लोग आश्चर्य चकित होते हैं। मंदिर पर रहने वाले संतों के अनुसार, पहले इस मंदिर के आसपास कुछ भी नहीं था। इसके चारों ओर खडंहर थे और समीप ही यमुना नदी बहती रहती थी। धीरे-धीरे जैसे-जैसे इस मंदिर की लोकप्रियता बढ़ी, लोगों में आस्था जागी और मंदिर में जीर्णोद्धार कार्य शुरू होने लगे। फिरोजाबाद में स्थित यह मंदिर (Hanuman Temple in Firozabad) काफी ऊंचे टीले पर बना हुआ है। यहां श्रद्धालुओं के बैठने के लिए भी उचित व्यवस्था है। मंदिर तक जाने के लिए लोगों को अपना निजी वाहन ही लाना पड़ता है। चूंकि अभी तक मंदिर के लिए नियमित वाहन नहीं चलें हैं। हनुमान जयंती के मौके पर मंदिर परिसर में भंडारे का आयोजन किया जाता है।
हनुमान जी की यह मूर्ति यहां स्थापित नहीं थी लेकिन जब इस मूर्ति का पता चला तो इसे यहां स्थापित कर दिया गया। इस मूर्ति का इतिहास सदियों पुराना है आज तक इस बात का कोई पता नहीं चला है कि यह मूर्ति कैसे यहां पहुंची थी। यहां फिरोजाबाद ही नहीं बल्कि देश के कई प्रदेशों से लोग हनुमान जी की इस प्रतिमा के दर्शन करने आते हैं। प्रतिदिन यहां हनुमान जी की आरती होती है और चोला भी चढ़ाया जाता है। भक्तों का मानना है कि जो भी इस मंदिर में सच्चे मन से प्रार्थना करता है। उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और परिवार में खुशहाली बनी रहती है।