चिंतामन गणेश मंदिर, उज्जैन, मध्यप्रदेश

चिंतामन गणेश मंदिर, उज्जैन, मध्यप्रदेश

प्रथम पूज्य भगवान गणेश का यह मंदिर मध्यप्रदेश प्रांत में उज्जैन से करीब 6 किलोमीटर दूर फतेहाबाद रेलवे लाइन के समीप स्थित है । चिंतामन गणेश मंदिर में भगवान श्री गणेश के तीन रूप एक साथ विराजमान है, जो चितांमण गणेश, इच्छामण गणेश और सिद्धिविनायक के रूप में जाने जाते है। चिंतामणी गणेश चिंताओं को दूर करते हैं, इच्छामणी गणेश इच्छाओं को पूर्ण करते हैं और सिद्धिविनायक रिद्धि-सिद्धि देते हैं।

एक प्रचलित कथानुसार, राजा दशरथ के उज्जैन में पिंडदान के दौरान भगवान श्री रामचन्द्र जी ने यहां आकर पूजा अर्चना की थी। त्रेतायुग में राम, लक्ष्मण और सीता माता वनवास पर थे तब वे घूमते फिरते यहां पर आये तब सीता माता को बहुत प्यास लगी । लक्ष्मण ने अपने बाण को इस स्थान पर मारा जिससे धरती में से पानी निकला और यहां एक बावडी बन गई। माता सीता ने इसी जल से अपना उपवास खोला था। तभी भगवान राम ने चिंतामण, लक्ष्मण ने इच्छामण एवं माता सीता ने सिद्धिविनायक की पूजा अर्चना की थी। मंदिर के सामने ही आज भी वह बावडी मोजूद है जहां पर दर्शनार्थी दर्शन करते है। इस मंदिर का वर्तमान स्वरूप महारानी अहिल्याबाई द्वारा करीब 250 वर्ष पूर्व बनाया गया था। इससे भी पूर्व परमार काल में 9वीं सदी से 13वीं सदी के बीच भी इस मंदिर का जीर्णोद्धार हो चुका है।

मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित सीताराम ने बताया कि गणेश चतुर्थी, तिल चतुर्थी और प्रत्येक बुधवार को यहां श्रद्धालुओं की काफी भीड़ रहती है। चैत्र मास के प्रत्येक बुधवार को यहां मेला भी लगता है। मनोकामना पूर्ण होने पर हजारों श्रद्धालु दूरदराज से पैदल चलकर मंदिर तक पहुंचते हैं। सीताराम पुजारी बताते हैं कि सिंदूर और वर्क से प्रात: गणेशजी का श्रृंगार किया जाता है, जबकि पर्व और उत्सव के दौरान दो बार भी लंबोदर गणेश का श्रृंगार किया जाता है।

देश के कोने-कोने से भक्त यहां दर्शन करने आते है। यहां पर भक्त, गणेश जी के दर्शन कर मंदिर के पीछे उल्टा स्वास्तिक बनाकर मनोकामना मांगते है और जब उनकी मनोकामना पूर्ण हो जाती है तो वह पुनः दर्शन करने आते है और मंदिर के पीछे सीधा स्वास्तिक बनाता है। कई भक्त यहां रक्षा सूत्र बांधते है और मनोकामना पूर्ण होने पर रक्षा सूत्र छोडने आते है। मान्यतानुसार, जो भी कोई शादी करता है तो उसके परिजन लग्न यहां लिखवाने आते है और शादी के बाद पति-पत्नी दोनों ही यहां आकर दर्शन करते है और वो लग्न यहां चिंतामण जी के चरणों में छोड़कर जाते है। दोनों पति-पत्नी चिंतामण गणेश जी प्रार्थना करते है कि हमारी सारी चिंताओं को दूर कर हमे सुखी जीवन प्रदान करना।

गणेश चतुर्थी के अवसर पर चिंतामन गणेश मंदिर में बड़ी संख्या में भक्त भगवान गणेश का दर्शन करने आते है। रक्षाबंधन के अवसर पर महिलाऐं बड़ी संख्या में अपनी राखियाँ भगवान गणेश को भेट करती है । किसी भी धार्मिक आयोजन, शुभकार्य, विवाह इत्यादि का प्रथम निमंत्रण भगवान चिंतामन गणेश को ही दिया जाता है ।