शिवोहम शिव मंदिर, बेंगलुरु

शिवोहम शिव मंदिर, बेंगलुरु

भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर भारत के कर्नाटक प्रांत की राजधानी बेंगलुरु में शहर के बीचों बीच पुराने एयरपोर्ट सड़क पर स्थित है। शिवोहम शिव मंदिर के निर्माण की शुरुआत रवि वी. मेलवानी ने 1994 में की थी। 1995 में मंदिर निर्माण पूर्ण होने के बाद 26 फरवरी, 1995 को भगवान शिव की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा श्रृंगेरी के श्री शंकराचार्य ने की। मूर्ति को मूर्तिकार काशीनाथ ने बनाया था। जिसकी ऊंचाई 65 फुट है। मंदिर के प्रवेश द्वार पर 25 फुट ऊंचा शिवलिंग है जो पूरे बंगलौर में सबसे बड़ा है। शुरू में इस मंदिर को शिव मंदिर के नाम से जाना जाता था लेकिन 2016 में, इसका नाम बदलकर शिवोहम शिव मंदिर कर दिया गया।

शिवोहम शिव मंदिर (Shivoham Shiva Temple) के संस्थापक को रात्रि में एक स्वप्न हुआ जिसमें उन्हें भगवान शिव की बड़ी विशाल मूर्ति को स्थापित करने का आदेश मिला। पर इतनी विशाल मूर्ति के लिए उनके पास धन की व्यवस्था नहीं थी। लेकिन बहुत जल्द ही भूमि की व्यवस्था हो गई और मंदिर निर्माण के लिए धन की भी। मूर्तिकार काशीनाथ ने शिव की मूर्ति बनाई थी। माना जाता है कि मंदिर बिना किसी योजना या खाके के बनाया गया था। शिवोहम शिव मंदिर, बेंगलुरु का नाम 2016 में बदल दिया गया था जब मंदिर ने वैदिक ग्रंथों और सिद्धांतों के ज्ञान के माध्यम से भक्तों को मोक्ष प्राप्त करने में मदद करने के लिए अपना ध्यान केंद्रित किया था।

शिवोहम शिव मंदिर की वास्तुकला के बारे में बात करें तो यह शिव मंदिर अपनी उत्कृष्ट वास्तुशिल्प कार्य से अन्य शिव मंदिरों से बिल्कुल अलग है। इस मंदिर में अमरनाथ पंच धाम यात्रा और 12 ज्योतिर्लिंग (Jyotirling) यात्रा को दर्शाया गया है। खासकर उन लोगों के लिए जो उन स्थानों की यात्रा नहीं कर सकते हैं। मंदिर के प्रवेश द्वार पर 25 फुट ऊंचा शिव लिंग द्वार है, जो शिव के पवित्र स्वरूप का प्रतीक है। यह देवता की अनंत प्रकृति और उनकी दिव्य ऊर्जाओं का प्रतिनिधित्व करता है। यह बेंगलुरु का सबसे बड़ा शिव लिंग द्वार है। शिव मंदिर के अंदर एक नवग्रह मंदिर है, जहाँ नवग्रहों की प्रतिदिन पूजा की जाती है।

आशीर्वाद मुद्रा में 65 फुट ऊंची शिव प्रतिमा एक चमकदार, सफेद संगमरमर की विशाल प्रतिमा है जो भक्तों में विस्मय पैदा करती है। वह पद्मासन मुद्रा में बैठे हुए, सांप और माला पहने हुए, और अपने डमरू और त्रिशूल को पकड़े हुए दिखाई देते हैं। प्रतिमा की पृष्ठभूमि में कैलाश पर्वत है, और उनकी जटाओं से गंगा नदी बहती है। शिव का चेहरा शांत और सौम्य है। मुख्य देवता के मार्ग पर गणपति की एक 32 फुट ऊंची सफेद मूर्ति विराजमान है। जिसका निर्माण दादा जेपी वासवानी ने 2003 में बनवाया था। भक्त बुद्धि, विद्या, ज्ञान और धन की कामना लेकर दर्शन के लिए आते हैं और अपनी परेशानियों के समाधान के लिए उनकी मूर्ति के सामने भगवा रंग का ‘विघ्नहरण धागा’ बांधते हैं। शिव की मूर्ति के सामने गर्भगृह में हीलिंग स्टोन रखे हुए हैं। भक्त चमत्कार का अनुभव करने के लिए आस्था के साथ इन पत्थरों को गले लगाते हैं।