प्रभु श्रीराम के अनन्य भक्त हनुमान जी को समर्पित यह मंदिर भारत के उत्तरप्रदेश प्रांत के कानपुर शहर से 45 किलोमीटर दूर घाटमपुर के गांव कुड़नी में स्थित है। हनुमान जी का ये मंदिर अपनी कई मान्यताओं, भक्तों के अटूट विश्वास और उनकी श्रद्धा आस्था का केंद्र बना हुआ है। इस मंदिर में मंगलवार और शनिवार मेले का आयोजन किया जाता है। कुड़नी गांव में स्थापित हनुमान जी के मंदिर की ख्याति प्रदेश ही नहीं देश भर में है। हनुमान जी के इस मंदिर के चलते गांव के लोग इन्हें कुड़नी सरकार (Kudani Sarkar) के भी नाम से बुलाते हैं।
मान्यतानुसार, कुड़नी हनुमान मंदिर 500 साल से भी अधिक पुराना है। मंदिर में मन्नत के बाद हुए पुत्र का नामकरण का मुंडन संस्कार के लिए यहीं पर आना पड़ता है। मंदिर में हनुमान जी की सेवा में लगे शुक्ला परिवार की 7वीं पीढ़ी मंदिर का रखरखाव कर रही है। शुक्ला परिवार अपने पूर्वजों के द्वारा बताए मंदिर के इतिहास के बारे में बताते हैं कि यहां मौजूद एक तालाब में पत्थर तैर रहा था। जिसे गांव वालों ने देखा और उसे निकाल कर एक वृक्ष के सहारे रख दिया। वो पत्थर मूर्ति का स्वरूप आकार हनुमान जी की आकृति स्पष्ट कर रहा था। जिसके बाद उस पत्थर को ग्रामीणों ने गांव के अंदर ले जाकर मंदिर निर्माण का प्रयास किया लेकिन वह पत्थर नीम के पेड़ के पास से हिला नहीं जिसके बाद ग्रामीणों ने वहीं पर ही भगवान हनुमान जी का मंदिर बनवाने का निर्णय लिया।
कुड़नी हनुमान मंदिर (Kudani Hanuman Temple) के निर्माण के दौरान गांव के ही एक माली को सपना आया कि बन रहे इस मंदिर में मंगलवार व शनिवार हनुमान जी का स्मरण करने वालों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होगी। माली ने अपना सपना जब ग्रामीणों को सुनाया तो गांव वालों ने मंगलवार व शनिवार को मंदिर में भगवान हनुमान की पूजा अर्चना शुरू कर दी। देखते ही देखते कुड़नी सरकार की महिमा हर घर बरसने लगी। मंदिर में उपस्थित रिकॉर्ड्स के अनुसार, 1946 से 2022 तक इस मंदिर में संतान की अर्जी लगाने वाले एक लाख से अधिक दंपत्ति संतान प्राप्त कर चुके हैं।
कुड़नी धाम में हनुमान जी के दर्शन करने से शारीरिक व मानसिक कष्ट दूर होने के साथ ही जटिल से जटिल रोग भगवान की कृपा आशीर्वाद से जल्द दूर हो जाते हैं। बाबा के दरबार में निरोगी काया पाने के लिए भी हजारों भक्त मंगलवार व शनिवार बाबा के दरबार पहुंचते हैं और उनके दर्शन कर अपने शारीरिक व मानसिक कष्ट दूर करते हैं। जिसके चलते ही हनुमान जी को भगवान डॉक्टर भी कहा जाता है। भक्तों का अटूट विश्वास है कि बाबा के दरबार में मंगलवार और शनिवार को हाजिरी लगाने वाले भक्तों की मनोकामना जरूर पूरी होती है। इसके साथ ही बाबा के दरबार में निसंतान दंपतियों की हाजिरी उनकी सूनी गोद भर देती है।