कटरामल सूर्य मंदिर: सूर्य देव को समर्पित यह मंदिर उत्तराखंड प्रांत के अल्मोड़ा जिले के अधेली सुनार नामक गांव में स्थित है। यह मंदिर अल्मोड़ा शहर से तकरीबन 18 किलोमीटर की दूरी पर है जिसे 6वीं से 9वीं सदी के बीच में कत्यूरी शासक कटारमल देव ने बनवाया था। मंदिर में सूर्य देव पद्मासन मुद्रा में बैठे हैं। कहा जाता है कि यहां श्रद्धा व भक्ति से मांगी गई हर इच्छा पूर्ण होती है। यहां पर श्रद्धालुओं का आवागमन वर्ष भर इस मंदिर में लगा रहता है। पुरातत्व विभाग के जानकारों के अनुसार, कटरामल सूर्य मंदिर कोणार्क सूर्य मंदिर के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर है।
एक प्रचलित कथानुसार, यहां पर कालनेमि नामक राक्षस का आतंक था, तो यहां के लोगों ने भगवान सूर्य का आह्वान किया। भगवान सूर्य लोगों की रक्षा के लिए बरगद में विराजमान हुए। तब से उन्हें यहां “बड़ आदित्य” के नाम से भी जाना जाता है। कटारमल सूर्य मंदिर में स्थापित भगवान “बड़ आदित्य” की मूर्ति पत्थर या धातु की न होकर बड़ के पेड़ की लकड़ी से बनी है, जोकि गर्भ गृह में ढककर रखी गयी है। इस मंदिर के परिसर में छोटे-बड़े मिलाकर कुल 45 मंदिर हैं। पहले इन मंदिरों में मूर्तियां रखी हुई थीं जिनको अब गर्भ गृह में रखा गया है। जनश्रुति के अनुसार, कई साल पहले मंदिर में चोरी हो गई थी, जिस वजह से अब सभी मूर्तियों को गर्भ गृह में रखा गया है। इस मंदिर में चंदन की लकड़ी का दरवाजा हुआ करता था, जो दिल्ली म्यूजियम में रखा है। इस मंदिर में साल में दो बार सूर्य की किरणें भगवान की मूर्ति पर पड़ती हैं। सूर्य के दक्षिणायन होने के बाद 22 अक्टूबर को और उत्तरायण होने के बाद 22 फरवरी को सुबह के समय यह देखने को मिलता है।