मंदिर – उलार्क/उलार सूर्य_मंदिर: सूर्य देव को समर्पित यह मंदिर बिहार प्रांत के पटना जिले के दुल्हिन बाजार में स्थित है। देश के 12 आर्क स्थलों में कोणार्क और देवार्क के बाद उलार्क ( उलार ) सूर्य देव की सबसे बड़े तीसरे आर्क स्थल के रूप में माना जाता है।
पौराणिक कथानुसार, द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र शाम्ब ऋषि-मुनियों के श्राप के कारण कुष्ठ रोग से पीड़ित हो गए थे। बाद में देवताओं के सलाह पर उन्होंने उलार के तालाब में स्नान कर सवा महीने तक सूर्य की उपासना की थी। इससे वे कुष्ठ रोग से मुक्त हो गए थे। जब शाम्ब सुबह की बेला में स्नान कर रहे थे, तभी गंगाचार्य ऋषि की नजर उन पर पड़ गई। यह देख ऋषि आगबबूला हो गए और शाम्ब को कुष्ठ से पीड़ित होने का श्राप दे दिया। इसके बाद देव ऋषि नारद ने श्राप से मुक्ति के लिए उन्हें 12 स्थानों पर सूर्य मंदिर की स्थापना कर सूर्य की उपासना करने को कहा। इसके बाद शाम्ब ने उलार्क, लोलार्क, औंगार्क, देवार्क, कोर्णाक समेत 12 स्थानों पर सूर्य मंदिर बनवाए। तब जाकर उन्हें श्राप से मुक्ति मिली।
इतिहासकार बताते हैं कि बाद में मुस्लिम शासकों ने अन्य मंदिरों की तरह उलार सूर्य मंदिर को भी ध्वस्त कर दिया। फिर 1950-54 में संत अलबेला बाबा ने जन सहयोग से मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया। यहां पर प्रत्येक रविवार को काफी संख्या में कुष्ठ से पीड़ित लोग स्नान कर सूर्य को जल व दूध अर्पित करते हैं। चैती हो या कार्तिक, दोनों छठ पर यहां लाखों की भीड़ जुटती है। कहा जाता है कि यहां पर सच्चे मन से जो नि:संतान सूर्य की उपासना करता है, उन्हें संतान की प्राप्ति होती है।