जाखू मंदिर, शिमला

जाखू मंदिर, शिमला

प्रभु श्रीराम के अनन्य भक्त हनुमान जी को समर्पित यह मंदिर भारत के हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में जाखू पहाड़ी के शिखर पर स्थित है। एतिहासिक जाखू पर्वत के शिखर पर हनुमान जी का यह प्राचीन मंदिर दुनियाभर के श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र भी रहा है। इस मंदिर का इतिहास त्रेतायुग से जुड़ा है। राम-रावण युद्ध के दौरान लक्ष्मण को मेघनाथ के शक्ति बाण की मूर्छा से बचाने के लिए हनुमान जी संजीवनी बूटी लेने सुमेरू पर्वत पर गए थे। इसी यात्रा के बीच में हनुमान जी शिमला की सबसे ऊंची चोटी जाखू पर्वत पर विश्राम करने के लिए रूके थे। मंदिर में 108 फीट ऊंचाई हनुमान जी की मूर्ति भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र है।

यक्ष ऋषि के नाम पर पड़ा जाखू पर्वत का नाम

इतिहासकारों और दंतकथाओं के अनुसार, जाखू पर्वत उतर भारत का प्रसिद्ध शक्ति स्थल है, जहां स्वयं पवनपुत्र हनुमान जी का वास है। ऐसी मान्यता है कि लंका में राम-रावण युद्ध के दौरान मूर्छित लक्ष्मण को बचाने के लिए हनुमान जी आकाश मार्ग से संजीवनी बूटी लेने के लिए हिमालय की ओर जा रहे थे, तो अचानक उनकी दृष्टि जाखू पर्वत (Jakhoo Hill) पर दिव्य ज्योति व तपस्या में लीन यक्ष ऋषि पर पड़ी। बाद में यक्ष ऋषि के नाम पर ही इस भव्य धाम का नाम जाखू पर्वत पड़ा। आज जाखू मंदिर पहुंचने के लिए जाखू रोपवे का निर्माण भी किया गया है। करीब 10 साल की कड़ी मेहनत के बाद ये जाखू रोपवे बनकर तैयार हुआ है। जाखू रोपवे के बनने के बाद अब श्रद्धालु महज 6 मिनट में जाखू मंदिर पहुंच जाते हैं। रोपवे के लग जाने से अधिक संख्या में पर्यटक मंदिर दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। जिस करत पर्यटन को भी बढ़ावा मिला है।

जाखू मंदिर (Jakhoo Temple) के लिए बनी रोपवे के मैनेजर बताते हैं कि संजीवनी बूटी के बारे में जानने के लिए हनुमान जी यहां पर उतर गए। उनके वेग से जाखू पर्वत जोकि पहले काफी ऊंचा था, आधा पृथ्वी के गर्भ में समा गया। संजीवनी बूटी के बारे में जानने के बाद हनुमान जी अपने उद्देष्य को पूरा करने के लिए हिमालय में द्रोण पर्वत की तरफ चले गए। जिस स्थल पर हनुमान जी उतरे थे, वहां पर आज भी जाखू में उनके चरणचिन्हों को मंदिर में अलग से एक कुटिया बनाकर संगमरमर से निर्मित कर सुरक्षित रखा गया है।

मान्यता है कि यक्ष ऋषि को वापसी में इसी सथान पर लौटने का वचन देकर हनुमान जी मार्ग में कालनेमी के कुचक्र में ज्यादा समय नष्ट होने के कारण छोटे मार्ग से होते हुए लंका लौट गए। उधर वे हनुमान जी के लौटने का व्याकुलता से इंतजार करते रहे। उसी समय हनुमान जी ने ऋषि को दर्षन दिए और लौटकर वापस न आने कारण बताया। माना जाता है कि हनुमान जी के ओझल होने के तुरंत बाद जाखू पर्वत पर एक स्वयंभू मूर्ति के रूप में प्रकट हुए।

108 फीट हनुमान जी की मूर्ति किसने बनवाई?

मंदिर में 108 फीट ऊंचाई हनुमान जी की मूर्ति का निर्माण बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन की बेटी श्वेता नंदा और दामाद निखिल नंदा ने करवाया था। मूर्ति का निर्माण एचसी नंदा चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा 2008 में शुरू होकर 2010 में पूरा हुआ। साल 2010 में पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल और निखिल नंदा ने इस मूर्ति का उद्घाटन किया था। हाल ही में इस दौरान मौके पर अभिनेता और श्वेता के भाई अभिषेक बच्चन मौजूद रहे थे।