सूर्य पुत्र शनि देव को समर्पित यह प्राचीन मंदिर भारत के मध्यप्रदेश प्रांत के जबलपुर के गोहलपुर क्षेत्र में स्थित है। न्यायमूर्ति शनिदेव के इस मंदिर में एक सिद्ध शनि शिला स्थापित है। मान्यता है कि यह शनि शिला लगभग 1500 वर्ष पुरानी है। इस मंदिर में शनिवार के दिन भक्तों का तांता लगता है और सभी “ऊँ शं शनिश्चराय नमः” के मंत्र का जप करते हुए अपने दुखों को दूर करने के लिए सूर्य पुत्र शनि से प्रार्थना करते हैं।
शनि देव पर सभी के अच्छे बुरे कर्मों का हिसाब रखने की जिम्मेदारी है। यही वजह है कि शनिदेव से लोग भय भी खाते हैं। यूं तो देश में शनिदेव के कई मंदिर हैं, जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शनों के लिए पहुंचते हैं। जबलपुर के गोहलपुर क्षेत्र में स्थित शनिदेव के इस अति प्राचीन मंदिर में भी भक्तों का बड़ा हुजूम इकट्ठा होता है। सभी शनि भक्तों के श्री सिद्ध शनि मंदिर (Shri Siddh Shani Temple, Jabalpur) के प्रति असीम आस्था है।
मंदिर के पुजारी उमाशंकर सोनी के अनुसार, लगभग 1500 साल पुराना यह मंदिर कई आक्रमणों के कारण बंद हो गया था, तब 30 वर्ष पहले ही उन्होंने इसका जीर्णोद्धार कराया और यहां पर शनि भगवान की कृपा से उनका सिद्ध मंदिर फिर से भक्तों के लिए खुल गया। उन्होंने बताया कि वह 30 सालों से इस मंदिर मे पूजा अर्चना, सेवा आदि कर रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि सिद्ध शनि मंदिर की शिला महाराष्ट्र के शनि शिंगणापुर मंदिर की शिला जैसी ही है। प्रत्येक शनिवार को सुबह से लेकर शाम तक जबलपुर के विभिन्न क्षेत्रों से श्रद्धालु शनि भगवान को तेल और पुष्प-मालाएं अर्पित करने के लिए पहुंचते हैं। शनि भगवान की पूजन सामग्री जैसे नींबू, मिर्ची, प्रसाद, तेल, चना चिरौंजी आदि सभी उमाशंकर द्वारा ही भक्तों को कम पैसे में उपलब्ध कराया जाता है।
श्री सिद्ध शनि मंदिर के भक्तों में से एक जबलपुर के श्रद्धालु जो 15 वर्षों से इस प्राचीन सिद्ध शनि मंदिर में दर्शन और पूजा पाठ के लिए आते रहे हैं बताते हैं कि इस प्राचीन शनि मंदिर में जो भी भक्त लगातार 7 शनिवार आकर श्रद्धा और भक्ति के साथ शनिदेव का पूजन अर्चन कर उन्हें तेल अर्पण करता है। शनिदेव उसकी मुश्किलें दूर कर उस भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। आगे उन्होंने कहा शनिदेव की महिमा अपरंपार है और उन्हें प्रसन्न करने के लिए केवल हृदय से याद कर लेना ही पर्याप्त होता है। उन्होंने यह भी कहा कि जो कुछ भी वह कह रहे हैं वो उनके स्वयं के किए अनुभव हैं, किसी के द्वारा सुनी हुई बातें नहीं।