प्रथम पूज्य भगवान गणेश को समर्पित यह मंदिर महाराष्ट्र के पुणे जिले के लेन्याद्री नामक ऐतिहासिक नगर में स्थित है। गिरिजात्मज का अर्थ है गिरिजा यानी माता पार्वती के पुत्र गणेश। मान्यतानुसार, यहाँ जिस जगह गणेशजी बिराजमान हैं वहा पार्वतीजीने तपस्या की थी इसीलिये इन गणेश का नाम गिरजा का (पार्वती का) आत्मज (पुत्र) गिरिजात्मज है। यह एक पहाड़ पर है और बौद्ध गुफाओं के स्थान पर बनाया गया है। पूरे विश्व में यह एक मात्र मंदिर है जहाँ भगवान गणेश को गिरिजात्माज के रूप में पूजा जाता है। यह मंदिर पुणे नासिक राजमार्ग पर पुणे से करीब 90 किलोमीटर दूर है और नारायणगांव से 12 किलोमीटर की दूरी पर है।
लेन्याद्री पहाड़ पर 18 बौद्ध गुफाओं में से 8वीं गुफा में गिरिजात्मज विनायक मंदिर है। इन गुफाओं को गणेश गुफा कहा जाता है। अष्टविनायक मंदिर महाराष्ट्र में 8 प्रमुख गणेश मंदिरों को कहा जाता है। यहां की गुफाएं 1 से 3 शताब्दी के बीच की बताई जाती है। यहां स्थित अष्टविनायक मंदिर पहली शताब्दी में बनाया गया था। चुनिंदा कुछ गुफाओं को छोड़कर बाकी सभी आम गुफाएं है जिन्हें संख्या के आधार पर जाना जाता है। चूंकि गुफाएं पहाड़ियों पर बनी हैं तो यहां तक पहुंचने के लिए 321 सीढ़ियों का सफर तय करना पड़ता है।
8 अष्टविनायक गणपति मंदिरों में से 1 यह गिरिजात्मज मंदिर एक बड़े पत्थर को काट कर बनाया गया है। मंदिर का मुख्य द्वार दक्षिण की ओर है। मुख्य मंदिर के सामने एक विशाल सभामंडप है जो 53 फीट और 51 फीट का है जिसमें कोई भी स्तंभ नहीं है। इस हाल में 18 छोटे छोटे अपार्टमंट हैं और श्री गिरिजात्मक विनायक की मूर्ति मध्य के अपार्टमेंट में स्थापित किया गया है।
मुख्य मंदिर की ऊंचाई केवल 7 फीट है जिसमें 6 स्तंभ है जिनमें गाय, हाथी आदि की आकृति उकेरी गई है । मुख्य मंदिर से एक नदी बहती है जिसके किनारे पर जुन्नर शहर बसा है। मंदिर में कोई बिजली का कनेक्शन नहीं है। मंदिर का निर्माण इस तरह किया गया है कि मंदिर में दिन भर सूर्य की किरणों से प्रकाश रहता है। यह जगह गणेश पुराण में जिरनापुर या लेखन पर्वत गणेश पुराण के रूप में जाना जाता है। गिरिजात्मज विनायक मंदिर सहित सभी 30 लेन्याद्री गुफाएं भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के नियंत्रण में हैं।