प्रभु श्रीराम के अनन्य भक्त हनुमानजी को समर्पित यह मंदिर भारत के उड़ीसा प्रांत के पुरी शहर की चक्र तीर्थ मार्ग पर स्थित है। मान्यतानुसार, जगन्नाथ मंदिर का निर्माण राजा इंद्रद्युम्न ने हनुमानजी की प्रेरणा से ही बनवाया था। कहते हैं, इस मंदिर की रक्षा का दायित्व प्रभु जगन्नाथ ने श्री हनुमानजी को सौंप रखा है। यहां के कण कण में हनुमानजी का निवास है। इसे दरिया महावीर मंदिर भी कहा जाता है। दरिया का अर्थ है समुद्र और महावीर भगवान हनुमान का दूसरा नाम है। हनुमानजी यहीं निवास करते हैं इस बात को यहाँ घटित चमत्कारों ने कई बार सत्यापित भी किया है।
जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Temple) के चारों द्वार के सामने रामदूत हनुमानजी की चौकी है अर्थात मंदिर है। परंतु मंदिर के मुख्य द्वार के सामने जो समुद्र है वहां पर बेड़ी हनुमानजी का वास है। बेड़ी हनुमान मंदिर (Bedi Hanuman Temple) की बाहरी दीवारों पर विभिन्न देवी देवताओं के चित्र बने हैं। मंदिर की पश्चिमी दिशा की दीवार पर अंजना अपने गोद में बैठे बच्चे से लाड़ कर रही है, उत्तरी दिशा की दीवार पर आभूषित खम्बे की चौकी को पकड़े खड़ी एक दैवत्व महिला, और दक्षिणी ओर की दीवार पर भगवान गणेश के चित्र पुरी के सांस्कृतिक गौरव को बढ़ा रहे हैं।
हनुमानजी, बेड़ी हनुमान जी के रूप में यहाँ क्यों स्थापित हुए, इस प्रश्न का उत्तर जानने के लिए एक प्रचलित कथा को जानना आवश्यक है। कथानुसार, समुद्र ने जगन्नाथजी के मंदिर को 3 बार तोड़ दिया था। कहते हैं कि महाप्रभु जगन्नाथ ने हनुमानजी को यहां समुद्र को नियंत्रित करने के लिए नियुक्त किया था, परंतु जब-तब हनुमान भी जगन्नाथ-बलभद्र एवं सुभद्रा के दर्शनों के लिए नगर में प्रवेश कर जाते थे, उसी समय समुद्र भी उनके पीछे नगर में प्रवेश कर जाता था। केसरी नंदन हनुमानजी की इस आदत से परेशान होकर जगन्नाथ महाप्रभु ने हनुमानजी को यहां स्वर्ण बेड़ी से आबद्ध कर दिया। तभी से हनुमान जी इस मंदिर में बेड़ियों में जकड़े हैं। प्रभु जगन्नाथ के भक्त मुख्य मंदिर के दर्शन के साथ बेड़ी में जकड़े हनुमानजी के भी दर्शन करने के लिए आते हैं।